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शोध पत्रिका की वेबसाइट www.sambodhshodhpatrika.org को लांच करते हुए हम सभी लोगों को विशेष प्रसन्नता हो रही है। सर्वप्रथम उन लोगों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने शुरू से अब तक प्रत्येक क्षण मदद की।
भारत में अध्यापन के क्षेत्र में हिंदी भाषा के माध्यम के निरंतर बढ़ते हुए महत्व को देखते हुए प्रमाणिक शोध पत्रिका का अभाव छात्रों और अध्यापन से जुड़े हुए लोगों के लिए एक समस्या रहा है। साथ ही यह समस्या शोध के विकास में भी बाधक सिद्ध होने लगी है क्योंकि हिंदी भाषा के शोधार्थी / लेखकों पर अंग्रेजी में लिखने का दबाव रहता है , जिससे उनके मौलिक विचार बदल जाते हैं। अध्यापन एवं शोध कार्य से जुड़े रह कर गत कुछ समय से इस कठिनाई को अनुभव कर रहा था। इन समस्याओं को दूर करने के आशय से यह प्रयास किया गया। अपने स्वल्प ज्ञान की सीमाओं में इस कार्य को करने का प्रयास किया जा रहा है। किसी बंधन से मुक्त रहते हुए अपनी योग्यता के अनुरूप पूर्ण चेष्टा की है। हम गुणात्मक शोध के लिए मंच देने और अंतःविषय अनुसंधान को मजबूत करने के लिए मानविकी और सामाजिक विज्ञान में शोध को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। विभिन्न स्तरों पर शोध छात्र एवं छात्राओं तथा समाज वैज्ञानिकों की जिज्ञासा बढ़ेगी। जिसका समाधान किया जा सकेगा और शोधार्थियों के द्वारा किये गए शोध का लाभ समाज और राष्ट्र के हित में होगा। ऐसी हम आशा करते हैं।
दृष्टि (Vision)
संबोध की परिकल्पना करते समय यही विचार मन में था कि मौलिक एवं स्वतंत्र विचारों को एवं समसामयिक विषयों को लेखनीबद्ध करके कोई भी शोध, समाज राष्ट्र और संपूर्ण मानवता के उन्नयन में योगदान करके दिशा प्रदान करता है। इन्ही विचारों से अभिप्रेरित होकर संबोध पत्रिका का सृजन किया गया। विधिक औपचारिकताओं की पूर्ति के बाद तब से अद्यतन आज तक इसे परिमार्जित उत्त्कृष्ट बनाने का सतत प्रयास जारी है। इस पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्रों की मौलिकता एवं गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के उपरांत ही प्रकाशित करने की चेष्टा की जाती है।